Tuesday 9 October 2018

मेरी असलियत !

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Tuesday 2 January 2018

ख़त

'लिखा गया' हूँ..मैं तुम्हारे लिए,
'पढ़ लेते' हैं..मगर मुझे और लोग.
गलत पते का 'ख़त' हूँ मैं,
देखो..
तुम्हारे हाथ कब लगता हूँ ?

25/03/16

आओ डाकिये की #राह तकें,
चलो एक दूसरे को फिर से #चिठ्ठियाँ लिखें.
कुछ पल तो #बेताब जियें

Saturday 20 June 2015

पिता : हमेशा साथ रहते हैं


यूँ तो आपकी याद कभी जाती नहीं,
पर..जब कभी मेरी बेटी मुझसे लिपट कर 'I love you Papa' कहती है
तब मुझे आपकी बेहद्द याद आती है.
सर-दर्द में,सिरहाने बैठकर जब मेरे माथे पे वो बाम लगाती है,या..
अपने खाने की प्लेट से कुछ नापसंद चीजें जब वो धीरे से मेरे प्लेट में सरका  देती है..
तब मुझे आपकी बेहद्द याद आती है.
किसी बाजार-हाट में जब मेरे लिए कुछ भी खरीद देने के लिए मचल उठती है या..
कभी सड़क पार करते वक़्त वो मेरी बांह कस के अपने हाथ में ले लेती है..
तब मुझे आपकी बेहद्द याद आती है.
माना कि,आज के दिन थोड़ा ज्यादा.. पर किसी भी दिन जब आपकी याद इस तरह आती है
तो, मैं भी सबकी नज़रों से बचकर धीरे से जाकर आपकी तस्वीरों को सहला आता हूँ,
और..आलमारी में रखे आपके कमीज़ों से लिपट लेता हूँ जाकर...कोई जान भी नहीं पाता !!

जाने क्यों ? आज के दिन आपको बहुत याद करता हूँ.
वैसे तो ऊपर से ठीक-ठाक,पर अंदर से ना-शाद रहता हूँ.

यूँ तो हर दिन 'पिता' का है पर आज उनके प्रति 'प्यार और सम्मान' सार्वजनिक करने का दिन है
आप सब हमेशा अपने पिता के लाड़-दुलार में बने रहें ! मेरी शुभकामनायें व प्रार्थनाएं !!
HAPPY FATHER'S DAY.

Saturday 28 February 2015

ज़िन्दगी

अनिश्चितताओं का 
नाम ही तो 'ज़िन्दगी' है.
इसीलिए उसकी क़द्र भी है और 
इसी में उसकी खूबसूरती भी..शायद.
किसी एक पते पर 
'ज़िन्दगी' जम के रहती कहाँ है ??
'ज़िन्दगी' के नाम जब तक 
मोहब्बत के खत लिखो-लिखो , 
तब तक वो अपना ठिकाना बदल लेती है
ऐसी ही होती है ज़िन्दगी !! 

Sunday 19 October 2014

बदमाश मन !

 
मेरे शरीर में,
दो मंन साथ-साथ  रहते  हैं .
एक बेहद बातूनी है,
दुसरे को पसंद है चुप रहना .
एक को ख़ामोशी पसंद है,और 
दूसरा चाहता है भीड़ में बने रहना .
एक मेरी उँगलियाँ पकड़ के चलता है,
और दूसरा मुझसे आगे-आगे .
एक मेरी बात मानता है,
दुसरे की मैं नहीं मानता,इसलिए 
अक्सर वो मुझसे नाराज़ रहता  है .
दोनों एक दुसरे को नापसंद करते  हैं.
दोनों जब साथ रहते हैं,मुझे बेहद्द तंग करते हैं.
पर..ये अंदर की बात है,इनसे कहना नहीं,
मुझे ये दोनों ही अच्छे लगते हैं,
जब ये अलग-अलग रहते हैं.
आज मूड ऑफ है !! मूड ही तो है..
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आज मैं किसी पे गुस्सा करना चाहता हूँ.
उगते हुए सूरज को देखते ही मन गुस्से से भर उठा आज.
आज मैं भिखारी को कुछ नहीं दूंगा,
गली के  मरगिल्ले  कुत्ते को ठोकर मारूंगा,
बूढी औरत को आज नहीं करवाऊंगा सड़क पार,और..
आज मैं तुम्हारे साथ हंसूंगा भी नहीं,
और तो और !! अगर आज बागीचे में फूल खिल गए तो,
सच मानो किसी का सर फोड़ दूंगा मैं.
न जाने क्यों आज मुझे गुस्सा आ रहा है.

आज बाहर बेहद्द उमस है.
न खुल के बारिश हो रही है,न पेड़ों के पत्ते हिल रहे हैं.
कुदरत पहले तो इतनी खामोश नहीं थी,इन दिनों.
थोड़ी बारिश हो ,थोड़ी हवा चले तो शायद चैन आये !!

सुखद और मनोनुकूल weekend की शुभकामनायें.!!



Wednesday 20 August 2014

काश..
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कई दफा इच्छा होती है कि..
सब करते हुए भी कुछ न करूँ.
बोलते हुए चुप रहूँ .
कहीं रुक सकूँ ऐसे कि भूल जाऊं,है जाना.
जाऊं कुछ इस तरह कि लोग कहें,फिर आना.
होता रहे वही कुछ जिसकी कभी चाह नहीं.
न करूँ वही सब जिसके किये बिना निबाह नहीं.

कई दफा ऐसी इच्छा होती  है !!